ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Friday, December 6, 2013

"रंग नाद" का लोकार्पण

प्रकाशक : वाग्देवी प्रकाशन, शिवबाड़ी रोड, बीकानेर, दूरभाष 9414136999, मूल्य :270
हाल ही में संगीत, नृत्य, चित्रकला एवं छायांकन पर आलोचनात्मक निबंध की कृति "रंग नाद" प्रकाशित हुई है. वाग्देवी प्रकाशन, शिवबाड़ी रोड, बीकानेर से प्रकाशित इस कृति में  संगीत, नृत्य, चित्रकला एवं छायांकन पर कलाओं से अपनापा जो हुआ है, उसे ही शब्द दिए हैं.  कला चिंतन के अंतर्गत कलाकारों का मूल्याकन भर ही यहाँ नहीं है, संस्कृति का एक तरह से पाठ है। एक साथ संगीत, नृत्य , चित्र और छायांकन आदि कलाओं का आत्मीयता से आपको यह साक्षात् कराएगी, यह विश्वास है.
रंग नाद का लोकार्पण  जयपुर में आयोजित "आर्ट समिट" में आठ नवंबर 2013 को हुआ. कवि, कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल, मंगलेश डबराल, सुप्रशिद्द कलाकार विद्यासागर उपाध्याय, देवर्षि कलानाथ शास्त्री ने इसका लोकार्पण किया।