Sunday, March 31, 2024

'कलाओं की अंतर्दृष्टि' पर '​दैनिक ट्रिब्यून' में...

"...भारतीय दृष्टि इस पुस्तक का वह प्राणतत्व है जो इसे जिज्ञासुओं के लिए अनिवार्यत: पठनीय बना देता है।

 ...मूल्यवान और गंभीर कृति।...

कुल 23 अत्यन्त चिंतनपरक निबंधों में लेखक ने भारतीय कलाओं के विभिन्न पहलुओं पर प्रामाणिक दृष्टि से विचार किया है।..."

--योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण', वरिष्ठ आलोचक 




No comments:

Post a Comment