Sunday, September 8, 2024

गान का माधुर्य आगरा घराना

 "दैनिक जागरण" सोमवार के "सप्तरंग" में...

"...ख्याल क्या है? कल्पना में गूंथी दृष्टि ही तो! पर ख्याल गायकी और ध्रुवपद के मेल से गान का माधुर्य रस कहीं छलकता है तो वह आगरा घराना है... उस्ताद वसीम खान को ही सुन लें। लगेगा तानों के अनूठेपन में स्वरों की अनंत शक्ति, सौंदर्य उजास से वह जैसे साक्षात् कराते हैं...

दैनिक जागरण, 19 अगस्त 2024



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