Monday, May 4, 2020

आंचलिकता का लालित्य

"... इस  समय जो गद्य लिखा जा रहा है, उसमें ‘मेरी चिताणी’ इस मायने में विरल है कि लेखक ने इसमें अपने गांव के बहाने जीवन को व्यापक परिप्रेक्ष्य में गुना है। कहन के सहज, आंचलिक पर दार्शनिक बोध में लिखे का उनका आत्मकथात्मक लालित्य लुभाने वाला है।..."
राजस्थान साहित्य अकादेमी की पत्रिका "मधुमती" में -





No comments:

Post a Comment