ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Saturday, June 14, 2025

"राजस्थान इन्टरनेशनल सेंटर" में व्याख्यान...

पंडित विश्वमोहन भट्ट जी के सान्निध्य में सुरेन्द्र पाल जोशी कला स्मृति ट्रस्ट ने स्व. जोशी की स्मृतियां संजोने की महती पहल की।

युवा कला प्रदर्शनी के साथ संगीता जोशी जी की पहल पर इस आयोजन में उन पर विशेष व्याख्यान देने की नूंत थी। इस दौरान उनके सौंपे मनोहारी कला—भव को जिया...कलाओं की विरल, पर विविधता भरी उनकी दृष्टि पर अपनी बात रखते उनकी स्मृतियों से पुनर्नवा हुआ।

















































No comments:

Post a Comment