ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Sunday, October 3, 2010

नेशनल आर्ट वीक

ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली और ललित कला अकादेमी, चंडीगढ़ द्वारा पिछले दिनों चंडीगढ़ में नेशनल आर्ट वीक के अंतर्गत "न्यू मीडिया ऑफ़ आर्ट" पर राष्ट्रीय स्तर पर गहन विमर्श हुआ. खाकसार भी विमर्श में मोजूद था. न्यू मीडिया पर संभवत देश में यह पहला आयोजन था.
चंडीगढ़ से लौट कर राजस्थान पत्रिका समूह के "डेली न्यूज़" के  अपने प्रति शुक्रवार को प्रकाशित स्तम्भ "कला तट" में इस पर जो लिखा, आप  भी करें उसका आस्वाद-

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