ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Sunday, December 30, 2018

'नर्मदे हर'






कादम्बिनी, जनवरी 2019 












दैनिक नवज्योति 16 दिसंबर 2018 

अमर उजाला, 18 नवम्बर 2018 




युगपक्ष 11 अक्टूबर 2018 

दैनिक नवज्येाति में...


Thursday, December 13, 2018

"लीलटांस" में प्रकाशित इंटरव्यू



राजस्थानी की प्रतिष्ठित पत्रिका लीलटांस  के फरवरी-अप्रैल 2017 के अंक में प्रकाशित यह इंटरव्यू। 
"डेली न्यूज़" की सम्पादक सविता पारीक ने यह इंटरव्यू लिया था---











Wednesday, December 12, 2018

कविता देवै दीठ-मीठेस निरमोही

काव्य संग्रह 'कविता देवै दीठ' पर कवि, कथाकार मीठेस निरमोही जी ने 'माणक' के मार्च 2013 के अंक में विस्तृत आलोचनात्मक लिखा था।
आपकी नज़र—