ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, October 9, 2023

सूर्यमल्ल मिसण शिखर सम्मान

राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल्ल मिसण शिखर सम्मान की घोषणा 5 अक्टूबर 2023 को की गयी। यह पुरस्कार आपके मित्र की 'दीठ रै पार' कृति को प्रदान किया गया है।

यह आप—मित्रो के सद्भाव, प्यार और लिखे पर विश्वास की ही परिणति है...आपकी बधाई और शुभकामनाएं मेरी प्रेरणा है। बहुत आभार...

राजस्थान पत्रिका, 6 अक्टूबर 2023

राष्ट्रदूत, 7 अक्टूबर 2023

दैनिक भास्कर, 8 अक्टूबर 2023

पंजाब केशरी, 7 अक्टूबर, 2023











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