इस अवसर पर
पद्मश्री, संस्कृति मर्मज्ञ डॉ.
मुकुन्द लाठ ने
पर्यटन को देष
के वैविध्य में
एकता का प्रतीक
बताया। उन्होंने कहा कि
डॉ. व्यास की
पुस्तक असल मंे
दृष्य चित्र की
तरह है। जो
चीजें लेखक ने
देखी है उसको
एक चित्र के
रूप में इसमें
उकेरा गया है। इसमें
स्थान ही नहीं
लोग, वहां का
परिवेष आदि का
आकलन भी है।
पदमश्री चन्द्रप्रकाश देवल ने
कहा कि आम
तौर पर वही
दृष्य होते हैं
जिसे लाखों लोग
देखते है फिर
भी एक लेखक
का देखना इसलिये
अलग होता है
कि वह इतिहास,
समाज शास्त्र आदि
के नजरिये से
नयी दृष्टि देता
है। इस तरीके
की दृष्टि संवेदना
से ही आती
है और डॉ.
राजेश कुमार व्यास की यात्रा संस्मरण
की यह पुस्तक
इस लिहाज से
बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि
चूंकि डॉ. राजेश
व्यास कला समीक्षक
और संस्कृति मर्मज्ञ
हैं, उनके यात्रा
संस्मरण स्थान विशेष की
यात्रा करने के
लिये लुभाते हैं।
इन्हें पढ़तें लगता हैं,
हम स्वंय ही
यात्रा कर
रहे हैं।
राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी
के निदेशक डॉ.
आर.डी. सैनी
ने कहा कि
गतिशलता, संवेदना और कैमरे
की तरह एक
पल को कैद
करने की दृष्टि
होना एक अच्छे
यात्रा वृतान्त लेखक की
पहचान है और
यह तीनो ंबातें
लेखक डॉ. राजेष
कुमार व्यास में
उपलब्ध है। उन्होंने
नेषनल बुक टस्ट
की गतिविधियों की
प्रषंसा करते हुए
कहा कि टस्ट
के कारण ही
कष्मीर से कन्याकुमारी
जैसी पुस्तक आज
हमारे हाथ में
है।
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश उपाध्याय
ने कहा कि
जो बनावट पर
जोर देता है
वह खुद के
भीतर देखने का
खतरा नहीं उठाता
है। लेकिन इस
पुस्तक के लेखक
का स्वयं में
भला होना और
कवि होना इस
पूरी किताब में
बार-बार सामने
आता है।
यात्रा संस्मरण पुस्तक के
लेखक कवि, आलोचक
डॉ. राजेष कुमार
व्यास ने इस
मौके पर पुस्तक
के कुछ अंष
सुनाये। उन्होंने कहा कि
देषभर की यात्राओं
से यह तो
लगता है कि
कष्मीर से कन्याकुमारी
तक की सैर
सनातन भारत से
सैर है। देष
को जानना है।
यात्रा पर होता
हूं तो लिखते
नहीं बस अनुभूत
कर रहे होते
हैं। अनुभवों और
भावों की ही
यह अभिव्यक्ति है।
उन्होंने कुछ रोचक
प्रसंग भी सुनाये।
नेशनल बुक ट्रस्ट,
इण्डिया के संपादक
और वरिष्ठ लेखक
पंकज चतुर्वेदी ने
कहा कि घुम्मकड़
प्रवृति के डॉ.
राजेश कुमार व्यास
के लिखे यात्रा
संस्मरण कश्मीर से कन्याकुमारी
तक फैले भारत
के इतिहास, यहां
की संस्कृति और
कलाओं के साथ
ही जन-जीवन
को समेटे हैं।
उन्हांेने बताया कि नेषनल
बुक नेशनल बुक
ट्रस्ट द्वारा अक्टूबर में
पुस्तक मेले का
आयेाजन भी जयपुर
में किया जा
रहा है। उन्होंने
नेशनल बुक ट्रस्ट
की गतिविधियों के
बारे में भी
बताया। इस अवसर
पर पुलिस आयुक्त
श्री बी.एल.
सोनी, पुलिस उपायुक्त
श्री महेन्द्र सिंह
चौधरी सहित बड़ी
संख्या में विषेषजनों,
लेखकांे, साहित्यकारों ने भाग
लिया।
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