ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Tuesday, October 8, 2024

ध्रुवपद उत्सव

 जवाहर कला केन्द्र के आग्रह पर 5 अक्टूबर 2024 को ध्रुवपद उत्सव में बोलने जाना हुआ...

सुखद लगा, देश की ख्यातनाम रूद्रवीणा वादक ज्योति हेगड़े संग बतियाना हुआ।  उन्हें सुनता रहा हूं, रूद्रवीणा की वह इस दौर की विरल साधिका है। 

सुप्रसिद्ध सुरबहार साधक पं० पुष्पराज कोष्टी का भी सान्निध्य संपन्न करने वाला था...







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