'वंदे मातरम्' आजादी से जुड़े आंदोलन का बीज मंत्र भर नहीं रहा है, हमारी संगीत संस्कृति से भी सुरभित रहा है। इसकी पहली स्वरलिपि रवीन्द्रनाथ ठाकुर के संगीत गुरु यदुनाथ भट्टाचार्य ने तैयार की थी। पर, सार्वजनिक सभा में इसे पहली बार गाया, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने और बादमें उनकी भानजी कवयित्री और गायिका सरला देवी चौधुरानी ने भी रवीन्द्र संगीत में ही गाया। ...'वंदे मातरम्' राष्ट्रीय गीत नहीं बनता, यदि मास्टर कृष्णराव इसकी सांगीतिक लड़ाई नही लड़ते। मिश्र झिंझोटी राग में 'वंदे मातरम्' को सामुहिक गान बनाने का श्रेय भी मास्टर कृष्णराव को ही जाता है। ...

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