ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Sunday, March 31, 2024

हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, राजस्थान के स्थापना दिवस पर मुख्य व्याख्यान

हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, राजस्थान के स्थापना दिवस पर 'पत्रकारिता, पत्रकारिता शिक्षा और मानवीय मूल्य' पर मुख्य व्याख्यान के लिए आमंत्रित था। सुखद था, विद्यार्थियों ने इस विषय में सुनने में रुचि ली... 

पत्रकारिता, पत्रकारिता शिक्षा और मानवीय मूल्य- पर मुख्य व्याख्यान


विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सुधि राजीव, कुलसचिव श्री गौरव बजाड़ संग


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