कुछ दिन पहले बीकानेर जाना हुआ तो पुराने रिकॉर्ड खंगालते फिल्म पत्रकारिता के दिनों, फिल्मों पर लिखे कुछेक गुम हुए प्रकाशन हाथ लग गए। शीघ्र आपसे साझा करूंगा। हां, राजस्थान पत्रिका में प्रति शनिवार कोई तीन वर्ष तक एक कॉलम लिखा था, 'सरगम'. उसके भी कुछ पुराने प्रकाशित अंक मिल गए। इन सबका इसलिए भी महत्वअधिक लग रहा है कि शीघ्र 'सुर जो सजे' पुस्तक में मेरे फिल्म पत्रकारिता, फिल्मों पर लिखे का निचोड आपको मिलेगा। वह आपके हाथों में हो तब तक कुछ यादें साझा करता रहूंगा.
फिलहाल राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम का अध्यक्ष बनाए जाने के त्वरित बाद ओमपुरी से हुआ यह संवाद ...
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