"मुम्बई में बांद्रा में बने उनके घर का नाम भी उनकी बेटी 'बोस्की' के नाम पर ही है। इन पंक्तियों का लेखक जब गुलजार के घर 'बोस्कियाना' में प्रवेश करता है तो सबसे पहले ड्राइंग रूम की दीवार पर लगा छोटी सी मासूम बच्ची का पोष्टर स्वागत करते मिलता है। पूछने पर पता चलता है, यह उनकी बेटी 'बोस्की' के बचपन का फोटो है। गुलजार से उनके घर पर बात होती है..."
शीघ्र आ रही पुस्तक 'सुर जो सजे' में गुलजार से संवाद-संस्मरण का अंश।
शीघ्र आ रही पुस्तक 'सुर जो सजे' में गुलजार से संवाद-संस्मरण का अंश।
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