फिल्म पत्रकारिता के दिनों में कभी संगीतकार रवि का लम्बा इन्टरव्यू किया था। बाद में टूकड़ों टूकड़ों में भी उनसे निरंतर बातें होती रही थी। अपने अंतिम दिनों में वह जयपुर भी आए थे—तब भी उनसे फिर से लम्बा साक्षात्कार हुआ था। इतनी बातें हुई थी कि पूरी एक पुस्तक संगीतकार रवि पर आ जाए। समय मिलेगा तो कभी इस पर काम होगा ही। बहरहाल, हेमंत दा के बारे में उनकी कही बातें ...
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संगीतकार रवि के संग लेखक राजेश कुमार व्यास |
"एक—एक दिन की एक—एक कहानी है। कहूंगा तो कईं दिन भी कम पड़ जाएंगे। ...वह एक डायलॉग है ना कि 'आदमी की लाइफ बदल जाती है।' तो मेरे साथ ऐसा ही हुआ है। हेमंत कुमारजी के साथ सहायक के रूप में काम किया करता था तब। इनकम भी अच्छी खासी थी।...अचानक एक दिन हेमंत दा कश्मीर जा रहे थे तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा रवि मैं कश्मीर जा रहा हूं और कुछ समय बाद वापस लौटूंगा परंतु अब तुम अपना अलग काम करो। तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा। यह सुनकर मुझे झटका लगा। मैंने कहा आपके साथ ही अच्छा हूं पर उन्होंने मेरी एक न सुनी। उन्होंने कहा तुम्हारा टेलेंट मेरे साथ सदा दबता रहेगा। पर मैं अपनी बंधी—बंधायी आमद को लेकर चिंचित था।...घर आकर पत्नी को यह बात बतायी। पत्नी ने सांत्वना दी सुख के दिन ईश्वर ने दिए हैं तो दुख के दिन भी गुजार लेंगे। पूरी रात हम सो नहीं पाए। भारी मन से दूसरे दिन स्टूडियो गया। सोचा, अपने वेतन के बचे पैसे ले लेता हूं।..पता चला, हेमंत दा ने मुझे उनको मिली फिल्में इंडेपेंडेंट कॉन्ट्रेक्ट करने के लिए मेहता सा. को कहा था।'
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