ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Wednesday, February 2, 2022

इन्दौर में "राग अमीर" में व्याख्यान

 'कलाओं के अन्त:संबंधों'  पर व्याख्यान

मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत संचालित उस्ताद अलाउद्दीन खां अकादमी, भोपाल द्वारा इन्दौर में उस्ताद अमीर खां की स्मृति में 'राग अमीर' कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में सांगीतिक प्र​स्तुतियों के साथ ही कलाओं पर विमर्श, व्याख्यान के कार्यक्रम भी होेते हैं। 

अकादेमी ने 23 जनवरी 2022 को 'कलाओं के अन्त:संबंधों' पर व्याख्यान देने के लिए इन्दौर आमंत्रित किया था। इन्दौर कला रसिकों का शहर है, यह अहसास इस बात से ही हो रहा था कि रीगल चौराहा स्थित जिस प्रीतमलाल दुआ सभागृह में व्याख्यान हुआ वह सुनने वालों से खचाखच भरा हुआ था। 

  
            कलाओं के अन्त:संबंधों पर बोलते हुए—दर्शकों में आरम्भ की पंक्ति में सिने अभिनेता शाहबाज खांन व अन्य




 
कला रसिक श्रोता


आमंत्रण कार्ड

इन्टरव्यू 

दैनिक भास्कर, इन्दौर ने कलाओं के अन्त:संबंधो के आलोक में अपने 1 फरवरी 2022 के अंक में एक इन्टरव्यू प्रकाशित किया। इसमें एक कला का दूसरी कला से संबंध और सभी कलाओं को गुनने—सुनने के साथ हमारे दृष्टा भाव से जुड़े अनुभवों को साझा करना सुखद था।







No comments:

Post a Comment