साहित्य अकादेमी के 'साहित्योत्सव 2025' में उद्घाटन सत्र के दिन उत्तर—पूर्वी और पश्चिमी भारत की लोक संस्कृति विषयक व्याख्यान देने जाना हुआ...
बहुत कुछ नया पाया। लोक—आलोक लिए। अरसे बाद कुछ अग्रजों से, बहुत से आत्मीय मित्रो से मेल—मुलाकात भी संपन्न करने वाली रही...साहित्य के बाजारू उत्सवों से यह अपने ढंग का सहज—सुनियोजित उत्सव होता है। भारत—भर के साहित्य की सुगंध लिए...
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