ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Wednesday, July 28, 2021

"अमर उजाला" में -'रस निरंजन'

संगीत, नृत्य, नाट्य, चित्रकला पर एकाग्र 'रस निरंजन' की अमर उजाला, रविवारीय में प्रकाशित यह समीक्षा...


"अमर उजाला" 11 Julay 2021


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