ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, April 3, 2023

इब्राहिम अल्का जी का नाट्यकर्म

 संगीत नाटक अकादेमी की पत्रिका "संगना" में ...

"संगना" अंक 40-41, अक्टूबर 2020-मार्च 2021 


"संगना" अंक 40-41, अक्टूबर 2020-मार्च 2021 


"संगना" अंक 40-41, अक्टूबर 2020-मार्च 2021 




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