"कलाएं क्या है? मिथकों, धार्मिक विश्वासों और दैनिन्दिनी कार्यकलापो में जीवन से जुड़ी सहज दृष्टि ही तो! कोई एक कला अपने आप में पूर्ण नहीं होती, दूसरी में घुलकर ही वह संपूर्णता को प्राप्त करती है। नृत्य, संगीत, नाट्य संग वास्तु और मंदिर स्थापत्य का मेल कर उदयशंकर ने कलाओं के अन्त:सबंधों को साधा। इसी से वह भारतीय नृत्य के विश्वभर में अग्रदूत हुए। आनंद कुमार स्वामी चित्र और मूर्तिकला के जिस तरह से भारत—प्रवक्ता बने, मुझे लगता है—पश्चिम में भारतीय नृत्य के वैसे ही अग्रदूत उदयशंकर हुए। यह विडम्बना ही है कि हमने उन्हें इस अवदान को बहुत अधिक स्मरण नहीं किया है।..."
![]() |
पत्रिका, 29 जून 2024 |
No comments:
Post a Comment