"डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक "कलाओं की अंतर्दृष्टि" को पढ़ते हम कलाओं के मर्म में प्रवेश करते हैं।... भारतीय इतिहास, हमारी संस्कृति और गर्व करने लायक थाती पर विचार करने के लिहाज से यह पुस्तक अद्भुत है।...इस किताब में योग से लेकर मूर्ति, शिल्प, चित्र, नृत्य, नाट्य या गायन कला के विभिन्न पहलुओं का विवेचन किया गया है।
—पृथ्वी परिहार
No comments:
Post a Comment