ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, December 29, 2025

"आखर" में अनुवाद कार्यशाला

 'आखर' ने राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति में लेखकों की दो दिवसीय अनुवाद कार्यशाला आयोजित की। समापन समारोह में बोलने जाना हुआ। यह अपनी भाषा के लेखकों के सान्निध्य से संपन्न होने का अवसर था। प्रमोद शर्मा जी ने महती पहल की है। भारतीय भाषाओं से राजस्थानी में सूझ से जुड़ी अनुवाद की खिड़की खोली है...

पंजाब केसरी 29 दिसम्बर 2025

पत्रिका 29 दिसम्बर 2025

अनुवाद कार्यशाला, 28 दिसम्बर 2025







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