ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Friday, July 10, 2020

कैमरे की आंख से सिनेमा सृजन का इतिहास

'आजकल' जुलाई अंक में ....

निमाई घोष ने कैमरे की आंख से सिनेमा सृजन का एक तरह से इतिहास लिखा। सत्यजीत राय की छाया-छवियों के बहाने चलचित्र सृजन की प्रक्रिया और उसके इतिहास की सूक्ष्म सूक्ष को अपनी कला में गहरे से अंवेरा। कहूं, सत्यजीत राय के सिनेमा निर्माण से जुड़ी साधना का दृष्य कहन है निमाई घोष की छायांकन कला। उनकी छायांकन कला हमें उस काल बोध से भी जोड़ती हैं जिसमें बजरिए श्वेत-श्याम से लेकर रंगीन छायाचित्रों के सफर में सिने सृजन का पूरा एक युग हमारे समक्ष उद्घाटित होता है।




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