'आजकल' जुलाई अंक में ....
निमाई घोष ने कैमरे की आंख से सिनेमा सृजन का एक तरह से इतिहास लिखा। सत्यजीत राय की छाया-छवियों के बहाने चलचित्र सृजन की प्रक्रिया और उसके इतिहास की सूक्ष्म सूक्ष को अपनी कला में गहरे से अंवेरा। कहूं, सत्यजीत राय के सिनेमा निर्माण से जुड़ी साधना का दृष्य कहन है निमाई घोष की छायांकन कला। उनकी छायांकन कला हमें उस काल बोध से भी जोड़ती हैं जिसमें बजरिए श्वेत-श्याम से लेकर रंगीन छायाचित्रों के सफर में सिने सृजन का पूरा एक युग हमारे समक्ष उद्घाटित होता है।
निमाई घोष ने कैमरे की आंख से सिनेमा सृजन का एक तरह से इतिहास लिखा। सत्यजीत राय की छाया-छवियों के बहाने चलचित्र सृजन की प्रक्रिया और उसके इतिहास की सूक्ष्म सूक्ष को अपनी कला में गहरे से अंवेरा। कहूं, सत्यजीत राय के सिनेमा निर्माण से जुड़ी साधना का दृष्य कहन है निमाई घोष की छायांकन कला। उनकी छायांकन कला हमें उस काल बोध से भी जोड़ती हैं जिसमें बजरिए श्वेत-श्याम से लेकर रंगीन छायाचित्रों के सफर में सिने सृजन का पूरा एक युग हमारे समक्ष उद्घाटित होता है।
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