सुप्रसिद्ध कलाकार हिम्मत शाह जी का अहेतुक स्नेह सदा ही मिलता रहा है। कुछ दिन पहले वह निवास स्थान पर आए। देर तक तब कलाओं पर उनसे चर्चा हुई। पता ही नहीं चला बातों-बातों में वक्त पंख लगाकर उड़ता रहा। ...अपनी पुस्तक 'कला—मन' जब उन्हें सौंपी तो उन्होंने बैठे—बैठे ही कुछ पन्ने इसके पढ लिए। इस पर बहुत कुछ महती दीठ भी तब उन्होंने दी...
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