ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Sunday, November 6, 2022

हिम्मत शाह जी का सान्निध्य

सुप्रसिद्ध कलाकार हिम्मत शाह जी का अहेतुक स्नेह सदा ही मिलता रहा है। कुछ दिन पहले वह निवास स्थान पर आए। देर तक त​ब कलाओं पर उनसे चर्चा हुई। पता ही नहीं चला बातों-बातों में वक्त पंख लगाकर उड़ता रहा। ...अपनी पुस्तक 'कला—मन' जब उन्हें सौंपी तो उन्होंने बैठे—बैठे ही कुछ पन्ने इसके पढ लिए। इस पर बहुत कुछ महती दीठ भी तब उन्होंने दी...













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