राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के आमंत्रण पर 21 नवम्बर 2022 को जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी 'ब्रिटिश काल से पहले और बाद में भारतीय शिक्षा प्रणाली और एनईपी 2020 : उच्च शिक्षा में एक आदर्श बदलाव' विषय पर द्वितीय सत्र में मुख्य व्याख्यान दिया...
ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.
...तो आइये, हम भी चलें...
Saturday, November 26, 2022
जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य व्याख्यान

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