ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, December 5, 2022

बिट्स, पिलानी में...


यह सच में सुखद था कि तकनीकी एवं विज्ञान शिक्षा से जुड़े देश के इस अग्रणी संस्थान में वहां Department of Humanities and Social Sciences के सर्वथा अपरिचित शोधार्थियों ने आपके इस मित्र को आमंत्रित किया।

यह मई 2022 की बात है, जब उनका आमंत्रण आया था। पर दूसरी व्यस्तताओं के कारण देर होती रही। उन्होंने इन्तजार किया। इस दौरान सबसे पहले जिस रिसर्च स्कॉलर पुनीता राज ने नूंत दी थी, वह वहां से शोध कार्य पूर्ण कर जा चुकी थी। पर वहीं के अन्य रिसर्च स्कॉलर केरल के अभिजिथ वेणुगोपाल ने फिर से नवम्बर 2022 में संपर्क किया।

विद्यार्थी मिलना और सुनना चाहते थे।

अच्छा लगता है, जब इस तरह से कहीं याद किया जाता है।


संकाय अध्यक्ष प्रो. देविका, प्रो. संगीता शर्मा के मार्गदर्शन में प्रकाशित कला, साहित्य से संबद्ध विशिष्ट प्रकाशन Musings2022 के लोकार्पण और संवाद के लिए इस शनिवार 3 दिसम्बर 2022 को वहीं था। बिट्स पिलानी के निदेशक प्रो.सुधीर कुमार बराई मूलत: इंजीनियर हैं पर साहित्य—कला की संवेदना से गहरे से जुड़े हैं।

2 दिसम्बर सायं जयपुर से रवाना हुआ। रात्रि पिलानी स्थित बिड़ला इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नोलोजी एण्ड साईंस 'बिट्स' के विश्राम गृह में रहा। 3 दिसम्बर को दोपहर शोध—विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों के मध्य संवाद हुआ। इस कार्यक्रम के बाद मुक्त हुआ तो वहीं बिड़ला विज्ञान संग्रहालय के क्यूरेटर, कलाकार मित्र मोहित श्रीवास्तव संग संग्रहालय को ​देख फिर से पुनर्नवा हुआ। संग्रहालय निदेशक डॉ. वी.के. धौलाखंडी जी मिले तो पुरानी यादें ताजा हुई। ढ़ेर सारी बातें हुई, होती रही। इस दौरान संग्रहालय में कोविड के दौरान बने नए हाईवे—मैट्रो सिटी मॉडल की प्रतिकृति का आस्वाद किया। लगा, भारतीय राजमार्ग पर गुजरते वाहनों—वहां से जुड़ी टोलटेक्स व्यवस्थाओं, मैट्रो संचालन और बुलेट ट्रेन के भविष्य से जुड़ी तमाम चीजों को विज्ञान संग्रहालय में जीवंत कर दिया गया है। विज्ञान एवं तकनीक में जो कुछ है, यदि उसे ही संजोए रखा जाता है तो जड़त्व है पर समय संगत के साथ इस तरह की बढ़त उसकी सार्थकता।

पिलानी से लौट आया हूं पर मन अभी भी वहीं है...बहुत सा और भी कुछ वहां से स्मृति में संजोकर लाया हूं, कभी उस पर आप सबसे साझा करूंगा ही फिलहाल स्मृतियों का यह छंद—अंश...









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