ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Friday, January 3, 2025

भारतीय ज्ञान परम्परा पर व्याख्यान

 मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एम.एन.आई.टी.) के निमंत्रण पर पिछले दिनों शिक्षक—प्रशिक्षण के अंतर्गत नई शिक्षा नीति के आलोक में 'भारतीय ज्ञान परम्परा' पर बोलने जाना हुआ। 'भारतीय ज्ञान परम्परा' की कहां कोई थाह! यह वृहद विषय है। पढ़ा—गुना थोड़ा कुछ साझा किया...

व्याख्यान, 18 दिसम्बर 2024


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