ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, October 6, 2025

'कथूं—अकथ' का लोकार्पण और संवाद

 'आखर' में आईटीसी राजपुताना होटल में 4 अक्टूबर 2025 को राजस्थानी डायरी 'कथूं—अकथ' का लोकार्पण हुआ। बाद में ख्यातिलब्ध कथाकार,कवि और जयपुर जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी जी से राजस्थानी और हिंदी में डा. राजेश कुमार व्यास ने अपने रचना—संसार पर संवाद किया.




















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