ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, March 21, 2022

दैनिक 'ट्रिब्यून' में "आँख भर उमंग"

 दैनिक 'ट्रिब्यून' रविवारीय 20 मार्च 2022 में  "आँख भर उमंग"

--खास यात्राओं का दिलचस्प ब्योरा

--नदी के समान गतिमान शैली में दर्ज यात्रा वृतान्त

--मन के एकांत की चाह से राह

दैनिक ट्रिब्यून, 20 मार्च 2022






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