ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Sunday, September 8, 2024

गान का माधुर्य आगरा घराना

 "दैनिक जागरण" सोमवार के "सप्तरंग" में...

"...ख्याल क्या है? कल्पना में गूंथी दृष्टि ही तो! पर ख्याल गायकी और ध्रुवपद के मेल से गान का माधुर्य रस कहीं छलकता है तो वह आगरा घराना है... उस्ताद वसीम खान को ही सुन लें। लगेगा तानों के अनूठेपन में स्वरों की अनंत शक्ति, सौंदर्य उजास से वह जैसे साक्षात् कराते हैं...

दैनिक जागरण, 19 अगस्त 2024



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