अहमदाबाद में आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित पुस्तक महोत्सव के समापन सत्र में पुस्तकें और यात्रा संस्कृति विषय पर बोलने का संयोग हुआ। इस उत्सव में 8 दिसम्बर, रविवार—समापन समारोह के सत्र में—अपनी लिखी यात्रा—संस्मरण पुस्तकों 'कश्मीर से कन्याकुमारी', 'नर्मदे हर' और 'आंख भर उमंग' से जुड़ी अनुभूतियां साझा की। गुजरात में पढ़ने की संस्कृति है। पुस्तकों से लोगों को लगाव है। 'पुस्तक महोत्सव' में सुनने वालों का हुजूम उत्साहित करने वाला था...
ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.
...तो आइये, हम भी चलें...
Thursday, December 12, 2024
अहमदाबाद 'अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव-2024’

Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment