ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Saturday, September 3, 2022

"कला—मन" पुस्तक का लोकार्पण

राजस्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्र और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुधे ने 20 अगस्त को राजभवन राजस्थान में प्रदेश के मूर्धन्य कलाकारों की उपस्थिति में डॉ. राजेश कुमार व्यास की वैचारिक निंबंधों की पुस्तक 'कला—मन' का लोकार्पण किया।...


राजस्थान पत्रिका, 21 अगस्त 2022 




राष्ट्रदूत, 21 अगस्त 2022



राष्ट्रीय सहारा, 21 अगस्त 2022

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