"...संवेदना की आंख में कला प्रायः इतिहास-संदर्भ मुक्त होती है। इतिहास असल में तथ्यों पर निर्भर भौतिकवादी विचार है जबकि कलाएं अंतर्मन का विचार-उजास है।...अवनीन्द्रनाथ ठाकुर की कलाकृति 'तिष्यरक्षिता' एक दृष्टि में कामुक चरित्र को दर्शाती है पर चित्र का सच यही नहीं है।... कलाकृतियों को बनी-बनाई धारणाओं को उनसे जुड़े प्रचलित संदर्भों से मुक्त देखेंगे तो भारतीय कला का और भी बहुत कुछ महत्वपूर्ण हम पा सकेंगें। .."
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राजस्थान पत्रिका, 22 अक्टूबर 2022 |
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