ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Monday, November 11, 2024

सौरंगी सारंगी के पंडित रामनारायण जी का बिछोह

अमर उजाला, रविवारीय में..

पंडित रामनारायण जी का सान्निध्य निरंतर मिलता रहा।  उनसे जुड़ी बहुत सी यादें—बातें हैं। उनके बिछोह के साथ ही सारंगी के भारतीय युग का अवसान हो चला है। मुझे लगता है, यह पंडित रामनारायणजी ही थे जिन्होंने सारंगी के सौ रंगों का सार समझाया। सारंगी का विरल माधुर्य रचते इसे जन— मन से जोड़ा। ...

अमर उजाला, 10 नवम्बर 2024


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