ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Tuesday, November 26, 2024

तानसेन समारोह शताब्दी वर्ष पर 'संवाद प्रवाह' में व्याख्यान

 तानसेन समारोह की शुरूआत इस बार 22 नवम्बर 2024 को जयपुर के जवाहर कला केन्द्र से हुई। 

प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर ग्वालियर में आयोजित किए जाने वाले 'तानसेन समारोह' का यह सौंवा वर्ष है। इस अवसर पर राज्यों में भी इसे मनाए जाने की पहल हुई है। इसी कड़ी में जयपुर में तानसेन के संगीत अवदान पर विशेष संवाद प्रवाह का आयोजन हुआ। 

मध्यप्रदेश संस्कृति मंत्रालय और जवाहर कला केन्द्र, जयपुर के आमंत्रण पर संवाद प्रवाह में बोलने जाना हुआ। तानसेन के सांगीतिक अवदान पर अपने विचार रखे—

link :

https://www.youtube.com/live/t6pc_E8Jasw?si=hiLMrgGr6BurvaX7




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