ऐतरेय ब्राह्मण का बहुश्रुत मन्त्र है चरैवेति...चरैवेति. जो सभ्यताएं चलती रही उन्होंने विकास किया, जो बैठी रहीं वे वहीँ रुक गयी. जल यदि बहता नहीं है, एक ही स्थान पर ठहर जाता है तो सड़ांध मारने लगता है. इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा चरत भिख्वे चरत...सूरज रोज़ उगता है, अस्त होता है फिर से उदय होने के लिए. हर नयी भोर जीवन के उजास का सन्देश है.

...तो आइये, हम भी चलें...

Tuesday, November 26, 2024

श्रीगंगानगर में बाल साहित्य पर आयोजित परिसंवाद

साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के आमंत्रण पर 

श्रीगंगानगर में बाल साहित्य पर आयोजित परिसंवाद में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया...इस दौरान राजस्थानी की डायरी विधा की पुस्तक 'कथूं—अकथ' का लोकार्पण भी हुआ।







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